यूनियन ने जिलाधिकारी से की बकाया राशि दिलाने की मांग
रोहतास।
जिले के स्वास्थ्य संस्थानों में तैनात निजी सुरक्षा कर्मियों को पिछले कई महीनों से मानदेय का भुगतान नहीं होने की समस्या लगातार गहराती जा रही है। इसको लेकर बिहार राज्य निजी सुरक्षा कर्मचारी यूनियन, जिला शाखा रोहतास ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। संगठन ने जिला पदाधिकारी को ज्ञापन सौंपते हुए आग्रह किया है कि सभी कर्मियों को बकाया मानदेय का जल्द से जल्द भुगतान सुनिश्चित कराया जाए।
सुरक्षा कर्मियों की स्थिति चिंताजनक
यूनियन का कहना है कि जिले के विभिन्न सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में बड़ी संख्या में निजी सुरक्षा गार्ड और कर्मचारी तैनात हैं। ये सुरक्षा कर्मी दिन-रात अपनी सेवाएं देते हैं और अस्पताल आने वाले मरीजों, उनके परिजनों तथा चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। इसके बावजूद, उन्हें समय पर मानदेय नहीं मिल पा रहा है। कई सुरक्षा कर्मियों को महीनों से उनका वेतन नहीं मिला है, जिसके कारण वे अपने परिवार के भरण-पोषण और बच्चों की पढ़ाई जैसी बुनियादी जिम्मेदारियों को पूरा करने में असमर्थ हो रहे हैं।
संगठन का आरोप है कि प्रशासनिक लापरवाही और संविदा कंपनियों की मनमानी के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है। जबकि सुरक्षा कानून के तहत स्पष्ट प्रावधान है कि प्रत्येक निजी सुरक्षा कर्मचारी को नियमित रूप से समय पर वेतन दिया जाना चाहिए।
यूनियन ने उठाई मांग
बिहार राज्य निजी सुरक्षा कर्मचारी यूनियन के जिला मंत्री प्रेम शंकर यादव ने बताया कि बार-बार प्रशासन का ध्यान आकर्षित कराने के बावजूद अभी तक समस्या का समाधान नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि यह केवल वेतन का मामला नहीं, बल्कि कर्मियों और उनके परिवारों के अस्तित्व का प्रश्न है।
यूनियन ने जिलाधिकारी से मांग की है कि वह शीघ्र हस्तक्षेप करें और स्वास्थ्य संस्थानों में कार्यरत सभी निजी सुरक्षा कर्मियों को लंबित बकाया राशि का तत्काल भुगतान सुनिश्चित कराएं। साथ ही, भविष्य में समय पर वेतन मिले, इसके लिए स्थायी व्यवस्था की जाए।
आंदोलन की चेतावनी
संगठन ने साफ चेतावनी दी है कि यदि आने वाले दिनों में समस्या का समाधान नहीं किया गया और वेतन भुगतान में और देरी हुई तो निजी सुरक्षा कर्मी आंदोलन का रास्ता अपनाने के लिए बाध्य होंगे। इससे जिले के स्वास्थ्य संस्थानों में सुरक्षा व्यवस्था प्रभावित हो सकती है, जिसका असर आम मरीजों पर भी पड़ेगा।
परिवारों पर बढ़ता बोझ
निजी सुरक्षा कर्मियों का कहना है कि उनके परिवार की पूरी आर्थिक व्यवस्था इसी मानदेय पर निर्भर करती है। बकाया राशि नहीं मिलने से उन्हें कर्ज लेना पड़ रहा है और रोज़मर्रा का खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया है। कई सुरक्षा कर्मियों ने कहा कि त्योहार के समय बच्चों की पढ़ाई और घर की जिम्मेदारियां पूरी करना और भी कठिन हो गया है।
प्रशासन से अपेक्षा
इस पूरे मामले पर यूनियन ने उम्मीद जताई है कि जिला प्रशासन संवेदनशीलता दिखाते हुए जल्द से जल्द उचित कदम उठाएगा। सुरक्षा कर्मियों का कहना है कि अगर समय पर मानदेय मिल जाए तो वे निश्चिंत होकर अपनी सेवाएं दे सकते हैं, लेकिन आर्थिक असुरक्षा के कारण उनका मनोबल गिरता जा रहा है।
यूनियन ने यह भी सुझाव दिया कि प्रशासन चाहे तो वेतन भुगतान की एक पारदर्शी प्रणाली लागू कर सकता है, जिसमें सीधे कर्मचारियों के बैंक खाते में राशि भेजी जाए। इससे बीच में देरी या गड़बड़ी की संभावना कम हो जाएगी।
सामाजिक दृष्टिकोण
यह केवल एक प्रशासनिक या वित्तीय मुद्दा नहीं, बल्कि सामाजिक पहलू भी रखता है। सुरक्षा कर्मी समाज के कमजोर तबके से आते हैं और उनका जीवन पहले से ही कठिन परिस्थितियों में गुजरता है। अगर उन्हें समय पर उनका हक नहीं मिलेगा, तो इसका असर उनके पूरे परिवार की जिंदगी पर पड़ेगा।
निष्कर्ष
रोहतास जिले में निजी सुरक्षा कर्मियों की यह समस्या स्थानीय प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। यूनियन ने साफ कहा है कि वेतन भुगतान में हो रही देरी को नज़रअंदाज़ करना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है। अब देखना होगा कि जिला प्रशासन इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या कदम उठाता है।
फिलहाल निजी सुरक्षा कर्मियों की यही मांग है कि उन्हें जल्द से जल्द उनका बकाया मानदेय मिल जाए, ताकि वे अपने परिवार का सम्मानजनक तरीके से पालन-पोषण कर सकें और स्वास्थ्य संस्थानों में सुरक्षा व्यवस्था निर्बाध रूप से जारी रहे।