पटना स्थित बिहार स्टेट चैंबर ऑफ कॉमर्स के भव्य सभागार में आयोजित ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव डॉक्टर्स मीट एवं सेमिनार 2025 एक ऐसा ऐतिहासिक आयोजन बन गया, जिसने न केवल चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों को एक मंच पर एकत्रित किया, बल्कि सामाजिक चेतना, संगठनात्मक शक्ति और भविष्य की सामूहिक दिशा को भी मजबूती प्रदान की। कार्यक्रम का शुभारंभ बिहार सरकार के माननीय उपमुख्यमंत्री श्री सम्राट चौधरी द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ, जिनकी प्रेरणादायक उपस्थिति ने समाज को यह संदेश दिया कि जब कोई समुदाय अपने प्रतिनिधियों को शक्ति और समर्थन देता है, तो वह न केवल स्वयं सशक्त होता है बल्कि राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाने की ओर भी अग्रसर होता है। सम्राट चौधरी ने अपने भाषण में स्पष्ट रूप से कहा कि अगर समाज 500 लोगों के समर्थन से पंचायत में, 5000 के समर्थन से विधानसभा में और 5 लाख लोगों के समर्थन से मुख्यमंत्री कार्यालय के समीप अपनी जगह बना सकता है, तो यही समय है, जब सामाजिक चेतना को सामूहिक शक्ति में बदला जाए। इस आयोजन की विशिष्टता यह रही कि इसमें देशभर से पधारे चिकित्सा जगत के 500 से अधिक विशेषज्ञ डॉक्टरों ने न केवल भागीदारी की, बल्कि एक समर्पित समाज निर्माण की प्रतिबद्धता भी व्यक्त की। इसमें पीएमसीएच, एनएमसीएच, आईजीआईएमएस, राजकीय आयुर्वेद कॉलेज जैसे संस्थानों से जुड़े नामचीन डॉक्टर जैसे डॉ. नवीन कुमार, डॉ. अंचल, डॉ. रविकांत, डॉ. विनोद कुमार (डाउन टाउन हॉस्पिटल), डॉ. रेणुका सिंहा, डॉ. शिल्पी सिंह, डॉ. आरएन टैगोर, डॉ. सुदीश कुमार (धम्मा हॉस्पिटल), डॉ. अरुण कुमार (विक्रमगंज) सहित बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों से आए डॉक्टरों की सक्रिय भागीदारी रही। झारखंड से पूर्व आईएएस भीष्म कुमार, पूर्व प्रिंसिपल जज महेंद्र प्रसाद, पूर्व सिविल सर्जन डॉ. अनिल कुमार, रेडियोलॉजिस्ट डॉ. राकेश रंजन, एलआईसी सीनियर अकाउंटेंट ललित कुमार जैसे विशिष्ट जनों की उपस्थिति ने आयोजन को और विशिष्ट बना दिया। उत्तर प्रदेश से डॉ. कृतिक कुशवाहा, डॉ. संध्या, डॉ. राज सिंह जैसे युवा डॉक्टरों ने भी मंच साझा किया। पूरे कार्यक्रम का संचालन प्रभावशाली ढंग से एसबीआई के प्रबंधक श्री अरुण कुमार ने किया जबकि आयोजन की आत्मा माने जा रहे डॉ. मधुप ने उपस्थित जनों का न केवल भावनात्मक स्वागत किया बल्कि ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव ग्रुप की कार्ययोजना, सेवा-सह-स्वामित्व मॉडल और भविष्य की योजनाओं को पॉवरपॉइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से प्रस्तुत कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब समाज केवल सेवा लेने वाला नहीं, बल्कि सेवा देने वाला, संस्थान बनाने वाला और नेतृत्व करने वाला बनेगा। उनकी यह घोषणा कि “बहुत जल्द समाज अपना मेडिकल कॉलेज, डायग्नोस्टिक सेंटर, फार्मेसी, नर्सिंग कॉलेज और पारा मेडिकल संस्थान स्थापित करेगा” – पूरे हॉल में तालियों की गूंज के साथ गूँज उठी। इस मौके पर मंच को गौरव प्रदान किया पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद आदरणीय उपेंद्र कुशवाहा ने, जिन्होंने कहा कि “महानता वंश, पद या पहनावे से नहीं होती, बल्कि आपके द्वारा किए गए कर्मों से होती है।” उन्होंने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि यह पहल न केवल रोजगार सृजन और स्किल डेवलपमेंट का साधन बनेगी, बल्कि समाज के आत्मसम्मान और नेतृत्व को भी दिशा देगी। बिहार सरकार के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. सुनील कुमार ने अपने उद्बोधन में आत्मीयता से कहा कि निःस्वार्थ सेवा ही सच्चा तप है और अगर समाज चाहता है कि इतिहास में उसका नाम लिखा जाए, तो हर व्यक्ति को आत्ममंथन करना होगा कि उसने अपने समाज के लिए क्या किया। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि “सिर्फ पास होना काफी नहीं है, जीवन में टॉप करना जरूरी है।” इस आयोजन की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि यह केवल एक चिकित्सा सम्मेलन नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन की दृष्टि से एक आंदोलन का रूप ले चुका है, जहां सेवा और स्वामित्व के सिद्धांतों के साथ आत्मनिर्भर समाज निर्माण की ठोस योजना बनी। इसमें DIMS Patna की परिकल्पना को आगे बढ़ाते हुए पूरे देश में पैन इंडिया प्रोग्रेसिव ब्रांड स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ाया गया है। यह आयोजन यह भी प्रमाणित करता है कि यदि समाज स्वयं अपने डॉक्टर, शिक्षक, इंजीनियर, नेता और उद्यमी पैदा करे, तो न केवल वह आत्मनिर्भर हो सकता है, बल्कि पूरे राष्ट्र के विकास में नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभा सकता है। डॉ. राजकिशोर, डॉ. अमरजीत कुमार, डॉ. सुरेश कुशवाहा (डेंटल सर्जन), डॉ. सीबी सिंह, डॉ. विकास कुमार (प्लास्टिक सर्जन), कुमार धर्मवीर (एडवोकेट), और डॉ. विनोद कुमार (ईएनटी)  और दिल्ली से चलकर आए डॉक्टर शंकर कुमार  का भी अहम योगदान रहा जैसे अनेक विशेषज्ञों ने मंच से सामाजिक प्रतिबद्धताओं को साझा किया और यह जताया कि जब चिकित्सक सामाजिक चेतना से जुड़ते हैं, तो वह समाज केवल रोग मुक्त ही नहीं, बल्कि आत्मबल से युक्त बनता है। समापन सत्र में पूरे हॉल ने खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट से यह स्पष्ट संकेत दे दिया कि यह आयोजन अब केवल एक मीट नहीं, बल्कि एक स्थायी आंदोलन का नाम बन चुका है, जिसका उद्देश्य है – सेवा को स्वामित्व से जोड़ना और समाज को आत्मनिर्भर बनाना, और यही लक्ष्य “ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव ग्रुप” की आत्मा है।

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