बक्सर के चौसा में थर्मल पावर प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है. किसानों का संघर्ष लगातार जारी है. यह संघर्ष हिंसक भी हुआ, पुलिस-प्रशासन का बर्बर चेहरा भी सामने आया. सरकार की भारी फजीहत भी हुई. नई सरकार यानि एनडीए की सरकार ने विवाद सुलझाने की कोशिश शुरू कर दी है. बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने विवाद सुलझाने को लेकर मोर्चा संभाल लिया है. उन्होंने आज राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री व अधिकारियों के अलावे उर्जा विभाग,स्थानीय प्रशासन और कंपनी के अधिकारियों के साथ बैठक की.

सम्राट ने संभाला मोर्चा..विवाद सुलझने की जगी आस

चौसा में निर्माणाधीन थर्मल पावर प्रोजेक्ट के लिए अर्जित या प्रक्रियाधीन भूमि विवाद के समाधान के लिए डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी की अध्यक्षता में आज मंगलवार को सचिवालय में बैठक हुई. बैठक में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री दिलीप जायसवाल, विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह, ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव संजीव हंस, बक्सर के जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल और बक्सर थर्मल पावर प्रोजेक्ट के मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी विकास शर्मा शामिल हुए.उपमुख्यमंत्री ने भूमि विवाद को सुलझाने को लेकर कई निर्देश दिए .

सम्राट चौधरी ने अधिकारियों से कहा की रैयतों के पुनर्वास एवं पुर्नव्यवस्थापन के मामले में राशि की प्राप्ति तथा क्षेत्र की बुनियादी संरचनाओं के विकास के लिए समाहर्ता एवं अपर समाहर्ता बक्सर संयुक्त रूप से राष्ट्रीयकृत बैंक में अलग-अलग बचत खाता खोलें. भूमि अर्जन पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन प्राधिकार परियोजना से संबंधित विवादित मामलों की मौजावर खेसरावार सुनवाई करें तथा समुचित आदेश पारित करें. इसके लिए 4 और 5 जुलाई को चौसा में विशेष शिविर लगाने का निर्णय लिया गया. बक्सर के जिला प्रशासन को यह निर्देश दिया गया है कि इसके लिए स्थल चयन कर सभी रैयतों को इसकी सूचना दें. कंपनी एसटीपीएल, एसजेवीएन के अधिकारियों को निदेशित किया गया कि परियोजना से प्रभावित रैयतों को भुगतान की जाने वाली राशि एक माह के अंदर समाहर्ता, अपर समाहर्ता के पद नाम से संयुक्त रूप से बचत खाते में राशि उपलब्ध कराएं. Stpl sjbn बक्सर थर्मल पावर के लिए 110-115 एकड़ जमीन जल संसाधन विभाग के स्वामित्व की भूमि के उपयोग किए जाने के संबंध में प्रस्ताव गठित कर सक्षम प्राधिकार का अनुमोदन प्राप्त करने के लिए बक्सर के जिलाधिकारी को निदेश दिया गया.

दरअसल, चौसा के किसानों का कहना है कि उन्हें भूमि का मुआवजा नहीं दिया जा रहा है और जबरन उनकी भूमि पर कब्जा करके प्रोजेक्ट का काम शुरू किया गया है. बता दें कि ये विवाद 2023 में काफी बढ़ गया था. किसान चौसा थर्मल पावर प्रोजेक्ट के मुख्य द्वार पर धऱना दे रहे थे. इसी दौरान विवाद बढ़ा और हिंसक रूप ले लिया था. काफी विवाद हुआ था. इसके बाद किसानों के साथ क्रुरतम व्यवहार किया गया. तब नीतीश सरकार की काफी फजीहत हुई थी. चौसा के किसाों का अब तक मांग पूरी नहीं की गई है. अब जाकर सरकार एक्टिव हुई है.

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