रांचीः झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की कमान संभाल रहे हेमंत सोरेन जमानत पर बाहर आ गए हैं। 31 जनवरी 2024 की शाम प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम से उन्हें जमीन घोटाले में गिरफ्तार किया था। करीब पांच महीने यानी 148 दिन की जेल यात्रा के बाद हेमंत बाहर आए हैं। जमानत देते वक्त हाईकोर्ट की टिप्पणी से उन्हें यकीनन संतोष मिला होगा। हाईकोर्ट ने जमानत देते वक्त टिप्पणी की कि जिनकी जमीन, उन्होंने कब्जे की कोई शिकायत ही नहीं की। ईडी के आरोप आधारहीन हैं। यह टिप्पणी हेमंत सोरेन के लिए काफी कारगर हो सकती है। वे अब जनता के बीच जाएंगे तो उनके पास बताने के लिए हाईकोर्ट की जमानत देते वक्त की गई टिप्पणी विरोधियों के खिलाफ अचूक अस्त्र साबित होगी। वे अब कह सकते हैं कि उन्हें राजनीतिक साजिश में फंसाया गया और बेवजह पांच महीने जेल में डाला गया।
जनता में जेएमएम के प्रति विश्वास पहले से ही पुख्ता था। हेमंत के जेल जाने के बाद तो यह और मजबूत हुआ है। इसकी झलक लोकसभा चुनाव के दौरान साफ-साफ दिखी। भाजपा को 2019 के मुकाबले तीन सीटों का नुकसान हुआ। दूसरा सबसे बड़ा नुकसान यह हुआ कि भाजपा अनुसूचित जन जाति (एसटी) के लिए आरक्षित सीटों में एक भी नहीं निकाल पाई। भाजपा के वोट शेयर में भी जेएमएम और उसके सहयोगी दलों ने बड़ी सेंधमारी की है। लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को झारखंड में 44.60 प्रतिशत वोट मिले। वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा को 51.6 प्रतिशत वोट मिले थे। यानी भाजपा के वोटों में सात फीसद की कमी आई है। दूसरी ओर इंडिया ब्लाक में शामिल जेएमएम और उसके सहयोगी कांग्रेस का वोट शेयर 2019 के मुकाबले बढ़ गया। जेएमएम का वोट शेयर इस बार लोकसभा चुनाव में 14.60 और कांग्रेस का 19.19 प्रतिशत रहा। वर्ष 2019 में जेएमएम का वोट शेयर 11.7 और कांग्रेस का 15.8 प्रतिशत ही था।
कल्पना के नेतृत्व में इंडिया ब्लॉक को फायदा
हेमंत सोरेन की गैरहाजिरी में उनकी पत्नी कल्पना सोरेन के हाथों में पार्टी और गठबंधन की बागडोर थी। राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली इंडिया ब्लॉक की बैठकों में कल्पना शामिल होती रहीं। रांची में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के खिलाफ जेएमएम के नेतृत्व में इंडिया ब्लॉक ने 21 अप्रैल को उलगुलान रैली की थी। राज्य भर से जिस तरह लोगों का हुजूम रैली में उमड़ा, उससे ही संकेत मिलने लगे थे कि भाजपा की राह झारखंड में पिछले दो लोकसभा चुनावों की तरह आसान नहीं होगी। नतीजा सामने है। भाजपा सूबे की सभी एसटी सीटें हार गई। केंद्रीय मंत्री रहते झारखंड के पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा को हार का सामना करना पड़ा। भाजपा का गीता और सीता प्रयोग तो एकदम फेल हो गया। जामा से जेएमएम की विधायक रहीं और पार्टी प्रमुख शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन को भाजपा ने अपनाया और दुमका से अपने सिटिंग सांसद सुनील सोरेन का टिकट काट कर उन्हें उम्मीदवार बनाया। पर, वे चुनाव हार गईं। सिंहभूम सीट से कांग्रेस की सिटिंग सांसद गीता कोड़ा को भाजपा ने अपने पाले में किया, लेकिन वे जेएमएम उम्मीदवार जोबा मांझी से अपना गढ़ नहीं बचा सकीं।
हेमंत सोरेन क्या फिर संभालेंगे सीएम की कुर्सी ?
हेमंत सोरेन को जमानत मिल जाने के बाद सवाल उठता है कि हेमंत सोरेन अब क्या करेंगे। क्या वे इसी कार्यकाल में दोबारा सीएम पद की शपथ लेंगे या बाहर से ही सरकार चलाने में सहयोग करेंगे। जेएमएम के भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि हेमंत विधानसभा के मौजूदा कार्यकाल के बचे चार-पांच महीनों के लिए सीएम नहीं बनेंगे। यानी चंपाई सोरेन की कुर्सी सलामत रहेगी। हेमंत को आशंका है कि जमानत के खिलाफ ईडी सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकता है। दूसरा कि सरकार ठीक चल रही है तो कुछ महीनों के लिए चंपाई को हटा कर उन्हें और उनके समर्थकों-शुभचिंतकों को नाराज करने का कोई मतलब नहीं है। इसलिए हेमंत अब अपना समय पार्टी और इंडिया ब्लाक को मजबूत करने में बिताएंगे। राजनीति में नवोदित कल्पना सोरेन अकेले जब भाजपा पर भारी पड़ सकती हैं तो अब पति-पत्नी की जोड़ी दोगुने उत्साह से भाजपा के पांव उखाड़ने के प्रयास में जुटेगी।