जयपुर के महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज की प्रख्यात कार्डियक एनेस्थेसियोलॉजिस्ट, डॉ. गरिमा का आज कार्डियक ऑपरेशन थिएटर (ओटी) में अचानक दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। यह घटना चिकित्सा समुदाय को झकझोर देने वाली है, क्योंकि डॉ. गरिमा खुद उन विशेषज्ञ डॉक्टरों में से थीं, जिन्होंने सैकड़ों मरीजों को दिल का दौरा पड़ने पर सीपीआर (कार्डियो-पल्मोनरी रिससिटेशन) के जरिए बचाया था। वे प्रतिदिन कई मरीजों की जान बचाने के लिए सीपीआर करती थीं और जीवन रक्षक प्रक्रियाओं में माहिर थीं।

डॉ. गरिमा का निधन एक ऐसे स्थान पर हुआ, जो चिकित्सा सुविधाओं से पूरी तरह सुसज्जित था, जहां हृदय रोगों का इलाज और सीपीआर की सुविधा आसानी से उपलब्ध होती है। इसके बावजूद, वे खुद इस परिस्थिति से नहीं बच पाईं। यह घटना यह संदेश देती है कि चिकित्सा क्षेत्र की सीमाएं भी होती हैं और हर परिस्थिति डॉक्टरों के नियंत्रण में नहीं होती।

डॉ. गरिमा ने अपने जीवन में न केवल सैकड़ों लोगों की जान बचाई, बल्कि चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण में भी अहम योगदान दिया। वे अपने सहकर्मियों और छात्रों के बीच अपनी विशेषज्ञता और दयालु स्वभाव के लिए जानी जाती थीं। उनके निधन ने उनके सहयोगियों, छात्रों और मरीजों के बीच गहरा शोक उत्पन्न कर दिया है।

चिकित्सा जगत के कई विशेषज्ञों और सहकर्मियों ने सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म्स के जरिए अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं। उनके सहयोगियों ने कहा कि वे एक बेहद निपुण और समर्पित डॉक्टर थीं, जिन्होंने हमेशा अपने मरीजों की बेहतरी के लिए काम किया। उनका निधन चिकित्सा क्षेत्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

इस दुखद घटना ने एक बार फिर यह सच्चाई उजागर की है कि चिकित्सा क्षेत्र में जितनी भी उन्नत तकनीकें और विशेषज्ञता हो, कुछ चीजें इंसानी नियंत्रण से परे होती हैं।

डॉ. गरिमा के असमय निधन पर सभी उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।

डॉ. गरिमा के निधन पर डॉ.एस. मधुप ने गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “डॉ. गरिमा एक निपुण और समर्पित डॉक्टर थीं। उनका हृदय रोगियों के प्रति जो दया और समर्पण था, वह अद्वितीय था। उन्होंने हमेशा अपने मरीजों की भलाई को प्राथमिकता दी और चिकित्सा क्षेत्र में अपना बहुमूल्य योगदान दिया। उनका जाना न केवल हमारे अस्पताल के लिए, बल्कि पूरे चिकित्सा जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।”

डॉ. मधुप ने यह भी कहा, “यह विडंबना है कि डॉ. गरिमा, जिन्होंने सैकड़ों लोगों की जान सीपीआर के जरिए बचाई, खुद उस स्थिति से नहीं बच पाईं। लेकिन यह इस बात की भी याद दिलाती है कि हम डॉक्टर चाहे कितनी भी कोशिश करें, कुछ परिस्थितियां हमारे नियंत्रण से बाहर होती हैं। उनकी यादें और उनके योगदान हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।”

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