रांची. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देर रात झारखंड सहित नौ राज्यों के राज्यपाल नियुक्त किये हैं. इनमें हरिभाऊ , जिष्णु देव वर्मा को तेलंगाना, ओम प्रकाश माथुर को सिक्किम, रमेन डेका को छत्तीसगढ़, सी एच विजयशंकर को मेघालय, गुलाब चंद कटारिया को पंजाब और चंडीगढ़ और लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को असम का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. लक्ष्मण प्रसाद के पास मणिपुर के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी रहेगा. वहीं, झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को महाराष्ट्र और केंद्रीय मंत्री संतोष कुमार गंगवार को झारखंड का राज्यपाल बनाया गया है. बता दें कि बरेली के पूर्व सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार झारखंड के 12वें राज्यपाल हैं. गंगवार आठ बार सांसद रह चुके हैं बीजेपी में लंबे समय तक सक्रिय रहने के साथ ही केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं.
संतोष गंगवार छात्र आंदोलन में सक्रिय रहे हैं और 1975 में आपातकाल के दौरान वे जेल जा चुके हैं. राजनीतिक सफर वर्ष 1977 से शुरू हुआ और 1989 में बरेली के सांसद चुने गए.1989 से 2009 तक लगातार सांसद निर्वाचित हुए हैं. इसके बाद 2014 में वस्त्र व जल संसाधन मंत्री बनाये गए. 2016 में मोदी सरकार में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री बने. 2017 में श्रम व रोजगार मंत्री बनाया गया. 2019 में मोदी 2 सरकार में श्रम एवम रोजगार मंत्री बनाए गए. बता दें कि इस बीच 1996 में वे बीजेपी संगठन के प्रदेश महासचिव रह चुके हैं और 2010 में बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव बनाए गए थे.
लंबे समय से भाजपा में हैं एक्टिव
बता दें कि संतोष गंगवार उत्तर प्रदेश बीजेपी कार्यसमिति के सदस्य रहे और 1996 में उन्होंने उत्तर प्रदेश बीजेपी इकाई के महासचिव का पद संभाला. 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने संतोष गंगवार को उम्मीदवार नहीं बनाया था. तब से ही कयास लगाये जा रहे थे कि उन्हें कोई और बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है. बता दें कि वर्तमान राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने 18 फरवरी 2023 को झारखंड के राज्यपाल की शपथ ली थी. उनके राज्यपाल रहते कई मौकों पर झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार से टकराव देखने को मिला और अब संतोष गंगवार झारखंड के 12वें राज्यपाल बनाये गए हैं.
सीएम हेमंत सोरेन से तल्ख रहे रिश्ते!
बता दें कि सीपी राधाकृष्णन और हेमंत सोरेन सरकार के बीच रिश्ते सामान्य नहीं कहे जाते थे. इसी साल जनवरी में जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ईडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने आरोप लगाया कि इस पूरे मामले में राज्यपाल की भूमिका संदिग्ध है. सोरेन ने बाद में विधानसभा में भी राज्यपाल पर निशाना साधा और कहा कि गिरफ्तारी के लिए राज्यपाल ने अहम भूमिका निभाई है.