सम्राट और कुशवाहा ने लगाया बिहार में एनडीए का नैया पार*

 सम्राट और कुशवाहा ने लगाया बिहार में एनडीए का नैया पार

उपेन्द्र कुशवाहा
जब पूरे बिहार राज्य की जनता और लोगों से मिलकर जीत का संयुक्त रूप से विश्लेषण किया गया तो तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद बिहार एनडीए को तीन तिहाई सीट दिलाकर उपेंद्र कुशवाहा और सम्राट चौधरी ने अपने आप को कुशल नेतृत्व कर्ता के रूप में स्थापित किया । आज कुछ लोग सम्राट जी के नेतृत्व पर सवाल खड़ा कर रहे हैं, वो लोग जातिवाद क्षेत्रवाद उच्च नीच वाला चश्मा उतार कर विश्लेषण करें, जो भी लोग जननायक उपेंद्र कुशवाहा और सम्राट चौधरी को बिहार में एनडीए का खराब प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं वह एनडीए के 30 सीट पर जीत को सेहारा उपेंद्र कुशवाहा और सम्राट जी के नाम होना चाहिए। जितना अच्छा प्रदर्शन बिहार में उपेंद्र कुशवाहा और सम्राट चौधरी के जी तोड़ मेहनत और अपनें नेतृत्व में किया है प्रयास ही रंग लाया है कुछ राज्य को छोड़ कर अधिकतर राज्य नही कर पाया अच्छा प्रदर्शन जितना चाहिए,अपवाद मध्यप्रदेश । एक प्रश्न उठा रहे हैं सम्राट जी कुशवाहा का वोट नहीं दिला पाये , इस प्रश्न का उत्तर देने से पहले मैं एक बात स्पष्ट कर दूं सम्राट जी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं न की कुशवाहा का ।
वो पूरा बिहार के नेता है उनकी जिम्मेदारी पूरे बिहार के सभी जातियों का वोट एनडीए की तरफ ट्रांसफर करवाना है न कि केवल कुशवाहा का, इस काम में उन्होंने पूरा तन मन और जीतोड़ मेहनत किया और ट्रांसफर करवाने में सफल भी रहे। आज कुशवाहा सहित पुरा बिहार की जनता उपेन्द्र कुशवाहा और सम्राट जी को अपना नेता माना है । यह साबित करने के लिए यह तथ्य काफी है कि राजद ने 7 टिकट केवल कोईरी को दिया और भाजपा ने एक भी नहीं दिया इसके बावजूद 6 सीट पर कुशवाहा समाज ने अपने जाति के उम्मीदवार को अस्वीकार कर उपेंद्र कुशवाहा और भाई सम्राट जी के नेतृत्व में एनडीए को भरपूर वोट किया। बल्कि अन्य जातियों ने अपने वोट अपने ही जाति के उमिदवार को दिया ।उदाहरण के लिए महाराजगंज और करकाट देखा जा सकता है ।पवन सिंह भाजपा के सदस्य होते हुए भी चुनाव लड़ने की घोषणा किया और अपना नामांकन के साथ-साथ अपने मां का भी नामांकन करवाया । उन पर कार्रवाई होने में देरी बहुत काम बिगड़ चुका था। जब पार्टी से निकाला गया तब तक बहुत देर हो चुकी थी। एनडीए में पवन सिंह के टक्कर के कई भोजपुरी कलाकार थे, जैसे मनोज तिवारी रवि किशन निरहुआ इन लोगों को प्रचार करने के लिए काराकाट में क्यों नहीं लाया गया? सुनने में आया था कि मनोज तिवारी ने पवन सिंह के खिलाफ बोलने से इनकार कर दिया था । प्रश्न उठता है कि सम्राट जी ने अपने जाति का वोट नहीं दिला सके ! क्या राजनाथ सिंह योगी आदित्यनाथ कराकाट में अपने जाति का वोट NDA को तरफ ट्रांसफर करवाये क्या? जिनका जिनका टिकट काटा था वह अपना वोट एनडीए की तरफ ट्रांसफर करवाये क्या ? बहुत सारा सवाल है?सम्राट जी भाजपा के मजबूत सिपाही है और रहेगे
सम्राट जी अपना पगड़ी भाजपा के लिए ही बांधी थी खोलेंगे भी भाजपा के लिए। इससे बडा कुर्बानी कोई इतिहास मे नही दिया होगा जितना बडा कुर्बानी सम्राट जी देने जा रहे है। भाजपा के लिए। कुशवाहा जाति क्षत्रिय जाति होती है उनके लिए पगडी ही सबकुछ होता है।भाई सम्राट ने बिहार की जनता और बीजेपी के लिए हमेशा कुर्वानी के लिए तत्पर रहे है।
बिहार में बाहर है सम्राटे सम्राटे सम्राट है ,सम्राट है तो संभव है। जय उपेंद्र, तै सम्राट।
श्याम बाबू मौर्य विश्लेषक,
अधिवक्ता पटना उच्च न्यायालय*ऐडवोकेट श्री कुमार धर्म वीर, दानापुर सिविल कोर्ट।*सोनू कुशवाहा

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