औरंगाबाद शहर के कारगिल शहीद चौक पर 13वीं बिहार बटालियन एनसीसी केडेट्स द्वारा 25 वीं कारगिल विजय दिवस के अवसर शुक्रवार की सुबह करीब दस बजे के आसपास शहिद शिव शंकर गुप्ता के परिजन के साथ एन सी सी के पदाधिकारियों ने शहीद के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन: किया। शहिद के पिता नंदलाल गुप्ता, छोटा भाई शिवदयाल गुप्ता, कर्नल आर के सिंह सहित अन्य लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें स्मरण किया। नमन: आंखों को के साथ शहिद के पिता नंदलाल गुप्ता ने बताया कि शहिद शिव शंकर गुप्ता चार भाई बहन में सबसे बड़ा था। बचपन से ही वह फौज में जाना चाहता था, 28 अक्टूबर 1996 में बिहार रेजिमेंट केंद्र में भर्ती हुए। शहीद शिव शंकर गुप्ता रफीगंज प्रखंड के बंचर वगरा गांव के रहने वाले हैं। इनके पिता बताते हैं कि 6 जुन1999 को पोस्ट ऑफिस के माध्यम से मेरे गांव पर एक पोस्टमैन आया और एक लिफाफा देकर चला गया। जिसको खोलने पर एक हजार रूपए तथा मेरे बेटे की शहीद होने का पत्र मिला। पत्र मिलने लगभग एक महिना तक कुछ पता ही नही चल रहा था। 35 वां दिन शहिद शिव शंकर गुप्ता का पार्थिव शरीर लेकर सेना के कुछ जवान बंचर बगड़ा लेकर आयें। कर्नल आर के सिंह ने बताया कि आज औरंगाबाद जिला का नाम पुरा देश में शहिद शिव शंकर गुप्ता ने रौशन किया है।
अपने साथी के पार्थिव शरीर लाने में लगी थी दुश्मन की गोली
जानकारी दे दे की दिनांक 04 जून 1999 को सुबह सैनिक संख्या 4275292 सिपाही शिव शंकर प्रसाद गुप्ता कुछ अन्य फौजी जवानों के साथ अदम्य साहस का परिचय देते हुए अपने कम्पनी कमाण्डर मेजर एम सर्वानन और सेक्सन कंमाडर नायक गणेश प्रसाद यादव के पार्थिव शरीर को लाने का बिडा़ उठाया। सर्वविदित है कि दोनों विभूति का पार्थिव शरीर दुश्मनों के साथ भारी गोला बारी की दजब से उठाया नहीं गया। काफी प्रयास के बाद सिपाही शिव शंकर प्रसाद गुप्ता अपने जान की परवाह न करते हुए 14230 फुट बर्फीली एवं पथ्ररीली ऊंची पहाडी़ बटालिक उप सेक्टर में रेंगते हुए अपने एवं कम्पनी कमाण्डर के पार्थिव शरीर के पास पहुँचने में कामयाबी हासिल की। उन्होनें पहले कम्पनी कमाण्डर के पास पडी बद्रियार लाने में कामयाबी हासिल की। पुनः गोला बारी के बीच रंगते हुए पहुंचकर अपने कम्पनी कमाण्डर के पार्थिव शरीर को 50 मीटर तक लाया। इसी बीच उनको एक गोली दुश्मन की आकर लगी। सिपाली शिव शंकर प्रसाद गुप्ता बिना घबराये अपने हथियार से दुश्मन की और फायर कर उनको आगे बढ़ने से रोके रखा। दो घंटे की इस गोला-बारी में सिपाही शिव शंकर प्रसाद गुप्ता का काफी रक्त बहकर नीचे आ गया और पुनः दुश्मन की एक गोली उनके सीने में आकर लग गई। अन्ततः इस दौर सैनिक ने अपनी मातृभूमि के लिए दुश्मनों के साथ लड़ते हुए अपने प्रणों की आहुति दे दी।
28अक्टुबर 1996 को हुई थे ज्वाइन
सिपाही शिव शंकर प्रसाद दिनांक दिनांक 28 अक्टुबर 96 को सेना में भर्ती होकर विहार रेजिमेन्ट केन्द्र में आबे तथा बुनियादी प्रशिक्षण के बाद प्रथम बिहार में पदस्थापित किये गये। इनकी कार्यकुशलता, जोश एवं साहस ने इस छोटी सी अवधि में सबका दील जीत लिया तथा पलटन में सभी रैंकों के लिए मिसाल बन गये ।
प्रथम विकार एक कर्तव्यनिष्ठ एवं साहसी सैनिक को खो दिया। इनकी कमी पलटन को हमेशा पहसूस होती सखेगी।
इस मौके पर शहिद के बड़ा पुत्र राहुल कुमार,अकाश कुमार,रिषी गुप्ता उर्फ गोलू, राजु गुप्ता, शिव कुमार गुप्ता सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।