Patna / Doctor Meet : बिहार की राजधानी पटना में आयोजित ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव डॉक्टर्स मीट के मंच से बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी का संबोधन केवल एक औपचारिक वक्तव्य नहीं, बल्कि सामाजिक पुनर्जागरण और राजनीतिक आत्मनिर्भरता का स्पष्ट और प्रभावशाली घोषणापत्र बनकर सामने आया, जिसमें उन्होंने न केवल कुशवाहा समाज बल्कि संपूर्ण बहुजन समाज को आत्ममंथन, संगठन और सशक्तिकरण का सीधा संदेश दिया। उनका यह वाक्य — “जब आपके पीछे कोई अपना होता है, तो आप मजबूत होते हैं” — केवल भावनात्मक नहीं बल्कि सामाजिक-संघर्ष की गहराई को छूने वाला था, जो यह बताता है कि यदि समाज अपने प्रतिनिधि के साथ अडिग होकर खड़ा होता है, तो वह प्रतिनिधि सत्ता में एक चट्टान बन जाता है। सम्राट चौधरी ने यह स्पष्ट किया कि वे जो कुछ भी राजनीतिक मंच से बोलते हैं, वह केवल लहर या आवेग में नहीं, बल्कि सोच-समझकर, समाज के दीर्घकालिक हितों को ध्यान में रखते हुए बोलते हैं — और यही बात उन्हें भीड़ में अलग और नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करती है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब समाज केवल नौकरी की ओर न भागे, बल्कि अस्पताल चलाने वाले, उद्योग स्थापित करने वाले और संस्थान निर्मित करने वाले लोगों की फौज तैयार करे, और इसके लिए सरकार PPP मॉडल के अंतर्गत हर संभव सहयोग देगी। उनके ऐतिहासिक और प्रतीकात्मक वक्तव्य “सम्राट अशोक ने तलवार रख दी, खुरपी उठा ली” ने सभागार में गूंज पैदा कर दी, जिसने यह संदेश दिया कि अब संघर्ष का रास्ता हिंसा से नहीं, ज्ञान, हुनर और श्रम से होकर निकलेगा; और यही रास्ता समाज को समृद्धि और सम्मान की ओर ले जाएगा। वोट की ताकत को गहराई से समझाते हुए उन्होंने कहा कि 500 वोट होंगे तो मुखिया पूछेगा, 5000 होंगे तो विधायक पूछेगा, 50 हजार होंगे तो मुख्यमंत्री बगल में बिठाएगा, और 5 लाख वोटों में यदि समाज संगठित हो गया तो प्रधानमंत्री की बगल की कुर्सी आपकी होगी — यह केवल एक चुनावी गणित नहीं था, बल्कि राजनीतिक चेतना और संगठन का मूल मंत्र था, जो समाज को अब जागने और संगठित होकर निर्णायक बनने की प्रेरणा देता है। उन्होंने प्रश्न खड़ा किया कि क्या समाज केवल मुखिया बनकर रह जाएगा या विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री और भविष्य का प्रधानमंत्री देने की क्षमता विकसित करेगा? यह सवाल नहीं, बल्कि समाज को झकझोरने वाली चुनौती थी, जिसे अब नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। उन्होंने चेतावनी देते हुए यह भी कहा कि आने वाले दिनों में बिहार में ‘Forward-Backward’ का एजेंडा फिर से चलेगा, और यदि समाज ने समय रहते एकजुटता नहीं दिखाई, तो वह फिर हाशिए पर धकेल दिया जाएगा, जैसा कि इतिहास में कई बार हुआ है। इस संदर्भ में उन्होंने खास तौर पर कहा कि “कुछ लोग अपने राजनीतिक फायदे के लिए ‘बैकवर्ड-फॉरवर्ड’ का झूठा विमर्श खड़ा करके समाज को आपस में लड़वाना चाहते हैं, ताकि असली मुद्दे पीछे छूट जाएं और सत्ता की मलाई केवल वही खाते रहें।” उन्होंने साफ तौर पर कहा कि अब समाज को इन झूठे द्वंद्वों से ऊपर उठकर एकजुट होना होगा, वरना राजनीतिक रूप से सशक्त जातियां और तबके हमेशा दबे-कुचले वर्गों को भ्रम में रखकर इस्तेमाल करते रहेंगे। स्वास्थ्य मंत्री के रूप में अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि उनके कार्यकाल में समाज के लोगों द्वारा अस्पताल खोलने की मांग बेहद कम आई, जो यह दर्शाता है कि समाज अभी भी अवसर लेने से ज्यादा नौकरी की सोच में बंधा हुआ है — अब समय आ गया है कि सोच बदले और समाज अवसर देने वाला वर्ग बने। उन्होंने आग्रह किया कि समाज ‘अंधा प्यार’ दिखाए, लेकिन वह प्यार किसी व्यक्ति-विशेष के लिए नहीं बल्कि अपने समाज की राजनीतिक ताकत और आत्मबल के लिए हो, क्योंकि जब जाति या समुदाय अपने नेता के पीछे दीवार बनकर खड़ा होता है, तब वह नेता सत्ता में एक अडिग चट्टान की तरह खड़ा हो जाता है। समापन में गूंजते नारों “जय सम्राट अशोक, जय जगदेव” ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह कार्यक्रम केवल एक बैठक नहीं बल्कि एक दिशा देने वाली ऐतिहासिक घड़ी थी, जो हमें याद दिलाती है कि हमारा अतीत जितना गौरवशाली था, उतना ही हमारा भविष्य भी हो सकता है — बशर्ते हम एकजुट होकर, सोच-समझकर आगे बढ़ें। सम्राट चौधरी का यह संपूर्ण उद्बोधन एक सीधा और प्रखर संदेश था कि राजनीति केवल सरकार बनाने का माध्यम नहीं, समाज को आकार देने का औजार है, और अब समय आ गया है जब समाज को यह तय करना होगा कि वह केवल तमाशबीन बना रहेगा या इतिहास का निर्माता बनेगा, क्योंकि समय सीमित है लेकिन संभावनाएं अनंत हैं — निर्णय हमें करना है, दिशा भी हमें तय करनी है, और नेतृत्व भी अब हमें ही गढ़ना है
